Sunday, August 10, 2008

लेट'स बी अ लिटिल रोमांटिक, थोड़ा सा रूमानी हो जायें।


वो बहुत खूबसूरत है, बहुत ही खुबसूरत। वो मुझे बहुत प्यार करती है। कभी कभी मुझे परेशान करने के लिए उल्टे सीधे काम भी करती है, लेकिन वो है बहुत अच्छी। उसका अंदाज़ ही निराला है। वो ताउम्र मेरे साथ रहेगी। वो और मैं एक ही हैं। मैं यानि वो और वो यानि मैं। हम एक दूसरे को बहुत प्यार करते है। हम दोनों में झगडा भी बहुत होता है लेकिन फिर भी हमारी मोहब्बत कम नहीं होती। हर छोटे बड़े खुशी के मौके पर, यहाँ तक की ग़म के मौके पर भी हम एक दूसरे को चूमते हैं। एक दूसरे की बाँहों में सुख और दुःख बांटते हैं। हम दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। मैं ......... और मेरी जिंदगी

Let's be a little romantic. जी हाँ, थोड़ा सा रूमानी हो जायें। आप भी, मैं भी, हम सभी। आख़िर इसमे अपना जाता ही क्या है, बल्कि आएगा ही आएगा। ऊर्जा आएगी, खुशी आएगी, सकारात्मक सोच आएगी और आएगी जिंदगी जीने के लिए नयी उमंगें। बस एक बार रोमांस कर के तो देखो........ किसके साथ.........., अरे यार , ख़ुद के साथ, इस जिंदगी के साथ। बी इन लव विद लाइफ। जस्ट लव इट और फिर देखो कैसे सब कुछ बदल जाता है। अगर आप ने जिंदगी से प्यार कर लिया न, तो समझो पूरी दुनिया आप से प्यार करने लगेगी। कोई ग़म नही रहेगा जिंदगी में। किसी से कोई प्रॉब्लम नही होगी। बिल्कुल सच कह रहा हूँ मैं, चाहे तो एक बार आजमा कर देख लो।

मैं मानता हूँ की जिंदगी हमें एक ही मिली है, आपको भी और मुझे भी, सिर्फ़ एक। और ये कितनी लम्बी है कोई नहीं जानता, न मैं और न आप। जिंदगी चाहे लम्बी हो या छोटी, हमारी है और हमें ही जीनी है। छोटी जिंदगी के लिए किसी से चंद लम्हे उधार नही मिलने वाले और लम्बी जिंदगी के कुछ पल किसी और के खाते नही जाने वाले। जितना टाइम जिस जिस को अलौट हुआ है न उतना काटना ही पड़ेगा, चाहेगा रो कर काटो या हंस कर काटो। खेल कर काटो या सो कर काटो। जो लोग जानते हैं की उनके पास कितना समय है या कितना बचा है उन्हें भी यही करना चाहिए।

जीवन के हर पल का आनंद उठाईये। हर वो काम कीजिये जो आप करना चाहते है, न की वो जो आप कर सकते है, तब तक जब तक की वो किसी और को नुक्सान न पहुँचा रहा हो, दूसरों के दुःख और पीड़ा का कारण न बने। जिस काम को करने में आपको मज़ा आए या जिसे करना आप के लिए एक फंतासी (fantasy ) की तरह है उसे ज़रूर करें। जिन कामों या चीजों से आपको खुशी मिले वो करने में कोई बुराई नही है। बिंदास हो कर उन्हें अंजाम तक पहुँचाओ। ऎसी की तैसी जेब की, सीमाओं की और दुनिया की। दुनिया साली आपको देगी क्या। दुनियावालो का लिहाज़ करके या उनकी बातों पर चल के कुछ हासिल नहीं होने वाला।

ये जिंदगी आपकी है इसे अपने तरीके से जीना होगा अपने अंदाज़ से । मैं तो यही करता हूँ। भाई ये जिंदगी एक नायाब तोहफा है, इसको सहेजना, संभालना आना चाहिए, इसकी इज्ज़त करनी आनी चाहिए। अगर ये रूठ गई ना तो पछताने का मौका भी नही मिलेगा। इस से मोहब्बत कर के इसकी खूबसूरती को देखा जा सकता है और दुनिया और दुनिया वालों की बेरुखी के बावजूद खुश और संतुष्ट रहा जा सकता है। ये आपसे कुछ नही मांगती सिवाय थोडी से चाहत के और उसके बदले ये आपको क्या क्या दे सकती है इसका अंदाजा शायद आपको नहीं है। बस इसे प्यार कीजिये और इसके हो जाइये फिर देखिये न पूरी कायनात आपको खुश करने की कवायद में लग जाए तो।

मेरी माशुका है जिंदगी मेरी,
कभी हंसाती, कभी रुलाती,
कभी बाँहों में खिलाती,
अपने मीठे बोसों से,
मेरा हर दर्द भुलाती,
तमाम दुश्वारियों में भी,
अहसास राहत का कराती,
मेरी माशुका है जिंदगी मेरी।

Monday, July 7, 2008

मन्दिर और मीट

मंडावली फाटक पर बने अंडर ब्रिज के दोनों तरफ़ ( गणेश नगर की तरफ़ ) हर समय लोगों का तांता लगा रहता है। जब देखो भीड़। आपको अपने नम्बर के लिए बहुत देर तक इंतज़ार करना पड़ेगा। दोनों तरफ़ की लाइनों में लगे लोगों के सब्र की तारीफ़ करनी पड़ेगी। कितनी भी देर हो जाए, शान्ति से खड़े रहते हैं और अपने नम्बर का इंतज़ार करते हैं, बिना किसी शिकवा शिकायत के। हर उम्र के लोग, बच्चे, बूढे, जवान, औरतें सभी। बनाने वालों ने भी दोनों जगहें छांट कर बनाई हैं, ठीक एक दुसरे के सामने, सड़क के आर पार। आमतौर पार रोज़ ही दोनों जगह भीड़ रहती है, लेकिन कुछ एक दिन ऐसे होते हैं जब एक का आँगन सूना होता है और एक के आँगन में बहार आई होती है। जैसे मंगल का दिन, एक तरफ़ तो चाहनेवालों का जमावाडा और दूसरी तरफ़ गिने चुने लोग अपनी बारी की प्रतीक्षा में। यहाँ बात हो रही है एक मन्दिर और मीट की दुकान की। हाँ जी, मंडावली अंडर ब्रिज के एक तरफ़ है मन्दिर और दूसरी तरफ़ है मीट शॉप। ठीक आमने सामने। अब मुझे यह ठीक से याद नही है की पहले वहां क्या था, मीट की दुकान या शनि/शिव मन्दिर। लेकिन क्या सही जगह है यार। मीट लेने जाओ अगर मन में श्रद्धा जाग जाए तो मन्दिर में घुस जाओ अगरबत्ती जलाओ, घंटी बजाओ और अगर मन्दिर में पूजा के बाद दांतों में खुजली होने लगे तो मीट की दुकान में चलो, हड्डी फाडो, चमड़ी चबाओ।